वट वृक्ष की जड़ों से बनाया एक अनोखा शिव मंदिर, यहां होते हैं तीनो लोकों के दर्शन

वट वृक्ष की जड़ों से बनाया एक अनोखा शिव मंदिर, यहां होते हैं तीनो लोकों के दर्शन
नागा बाबा ने इसी स्थान पर ली थी समाधी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत एक धार्मिक देश है और यहां भारी संख्या में प्राचीन मंदिर मौजूद हैं। ये सभी मंदिर अपनी अलग-अलग विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। आज हम बात करेंगे ऐसे ही एक अनोखे शिव मंदिर के बारे में जो सिद्ध बाबा के नाम से मशहूर है। मध्य प्रदेश के सोहागपुर के पास एक गांव में अनोखा शिव मंदिर हैं, जो सिद्ध बाबा के नाम से जाना जाता हैं। कहा जाता है कि कई सालों पहले इस स्थान पर मणि श्री पंच जूना अखाड़ा के काशी गिरी नागा बाबा नामक एक साधु आकर बसे थे। उन्हें यह स्थान काफी पसंद आ गया था, जिसके बाद उन्होंने इस स्थान पर रहते हुए वट वक्ष की जड़ो से निर्मित एक शिव मंदिर की स्थापना की। यहां के लोगो ने बताया की नागा बाबा ने इस शिव मंदिर में तीन लोक बनाए हैं। पाताल लोक, मृत्युलोक और आकाश लोक। पाताल लोक में उन्होंने भगवान शिव के चरणो को स्थापित किया, मृत्युलोक में उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की और आकाश लोक में प्रभु महादेव की सुंदर प्रतिमा स्थापित की।

वर्षों पुराने वट वृक्ष में आज भी मौजूद है कलाकृतियां

कहा जाता हैं की इस मंदिर से लोगो की बहुत आस्था जुड़ी हुई हैं। यहां लोग अपनी मन्नतें पूरी होने की उम्मीद लेकर आते हैं। इस मंदिर की सबसे खास बात,यहां का वट वृक्ष है, जो 600 साल पुराना हैं। इसमें हजारो की संख्या में जड़ें निकली हुई हैं। नागा बाबा ने इस वृक्ष की जड़ो से बहुत सी कलाकृतियां बनाई हैं, जो इसे बहुत आकर्षक बनाती हैं। उन्होंने इस वृक्ष के चारो ओर राम नाम लिखा हुआ हैं और साथ ही यहां पर ॐ, स्वास्तिक, सुदर्शन चक्र, धनुष बाण, उड़ते हुए हनुमान जी, शिवलिंग, गणेश एवं बैठने के लिए कुर्सी और परिक्रमा के लिए वृक्ष के चारों ओर जड़ो से छत भी बनाई गई है।

नागा बाबा ने इसी स्थान पर ली थी समाधी

स्थानीय निवासी आलोक जायसवाल ने बताया है की यह जमीन उनके पूर्वजों की तरफ से दान में दी गई थी। यह सिद्ध महाराज का स्थान हैं, उनके पूर्वज अजय बाबा नें बताया था की यहां पर काशी गिरी नागा बाबा नामक एक साधु युवा अवस्था में आए थे। इस मंदिर निर्माण के साथ गिरी नागा बाबा ने अपने बैठने का स्थान बनाया था। वे यहीं पर बैठकर तपस्या करते थे, और इसी स्थान पर उन्होंने समाधी ली।

Created On :   5 May 2023 7:35 PM IST

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